देश की युवा पीढ़ी जिन बीमारियों का सबसे अधिक शिकार हो रही है, उन्हीं में से एक है computer vision syndrome. यह आंखों की सेहत को नुकसानदायक एक ऐसी समस्या है, जो कंप्यूटर, मोबाइल, टीवी और लैपटॉप की स्क्रीन पर अधिक समय बिताने के कारण युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही है।
कंप्यूटर विजन सिंड्रोम में यंगस्टर्स को आंखों में ड्राईनेस की समस्या होती है। ऐसा स्क्रीन पर अधिक वक्त बिताने की वजह से होता है। आंखों में ड्राईनेस की मुख्य वजह कंप्यूटर और मोबाइल पर बहुत अधिक समय बिताना और इन पर काम करने के दौरान पलकें कम झपकाना होती हैं।
पलकें कम झपकाने (आई ब्लिंकिंग) की वजह से हमारी आंखों की ऑइल ग्लैंड काम करना बंद कर देती हैं। ये ग्लैंड्स या महीन धमनियां हमारी आखों में नैचरली गीलापन बनाए रखने का काम करती हैं। लेकिन पलकें ना झपके के चलते हमारी आंखों में ड्राईनेस बढ़ जाती है।
आंखों में जब ड्राईनेस की समस्या होती है तो व्यक्ति को बार-बार ऐसा लगता है कि आंख में कुछ गिर गया है, जबकि ऐसा होता नहीं है। आंख में किरकिराहट की यह दिक्कत ड्राईनेस की वजह से होती है। इस स्थिति में आंखों तो तुरंत मिनरल वॉटर से धोना चाहिए। आंखों को रगड़ने से बचें नहीं तो आंखों को अधिक नुकसान हो सकता है।
स्क्रीन पर अधिक वक्त बिताने के साथ ही एसी कमरों में घंटों बैठना या सर्दी के मौसम में हीटर में अधिक बैठना भी आंखों में बढ़ती ड्राईनेस की एक वजह होता है। स्क्रीन पर अधिक समय देना, पलकें कम झपकना और आर्टिफिशल एटमॉसफेयर में रहने के कारण हमारी आंखों में बननेवाले आंसू जल्दी सूख जाते हैं और आंखे ड्राई होने लगती हैं।
आंखों में ड्राइनेस की तेजी से बढ़ती समस्या की वजह खासतौर पर युवाओं में तो स्क्रीन टाइमिंग ही है। लेकिन इसके अलावा और भी कई ऐसी वजहें होती हैं, जिनसे आंखों में ड्राईनेस होती है। जैसे, कोई एलर्जी, किसी दवाई का साइडइफेक्ट, किसी तरह के इंफेक्शन की चपेट में आना या बढ़ती उम्र के कारण होनेवाली समस्याएं। जैसे, महिलाओं में मेनॉपॉज और पुरुषों में हॉर्मोनल इंबैलंस।
आंखों में ड्राईनेस के कारण किरकिराहट के साथ ही बार-बार ऐसा अहसास हो सकता है कि आंख में मिट्टी गिर गई है, आंखों में भारीपन हो सकता है, यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे और आप लापरवाही बरतें तो आंखों में एलर्जी भी हो सकती है।
स्क्रीनिंग टाइम अधिक होने के साथ ही कॉन्टेक्ट लैंस का इस्तेमाल, कॉन्टेक्ट लैंस को प्रॉपर मॉइश्चराइज ना करना, किसी सर्जरी के कारण, थाइरॉइड के कारण। आंखों में ड्राईनेस की समस्या महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले अधिक और कम उम्र में देखने को मिलती है। इसकी वजह हॉर्मोनल चेंजेज होते हैं।
अगर आंखों में ड्राईनेस की समस्या को लंबे समय तक अनदेखा किया जाए तो व्यक्ति अंधा तो नहीं होता लेकिन आगे चलकर आंखों में हर समय जलन की समस्या, थकान, भारीपन रहने लगेगा। यहां तक कि पेशंट का मन ही नहीं करता है कि वो आंखें खोले। इस कारण उनका काम और लाइफ दोनों सफर करते हैं।
हर दिन और लगातार कई घंटें स्क्रीन पर काम करने वाले युवाओं को अपनी आंखों की सेहत और सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए रुटीन आई चेकअप कराना चाहिए। अगर आपको पहले से डायबीटीज है या इसकी हिस्ट्री है तो ऐसे में और अधिक सतर्क रहना चाहिए।
एलर्जी ट्रीटेबल होती है क्यॉरेबल नहीं। यानी जब तक आप इससे बचाव करते रहेंगे, बचे रहेंगे। जरा-सी असावधानी बरतेंगे तो फिर से समस्या हो सकती है। किसी भी परेशानी में डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई ना खरीदें।
किसी पेशंट को अगर किसी डॉक्टर के पास जाकर आराम नहीं मिल रहा है तो इस बारे में उसी डॉक्टर से बात जरूर करें। बार-बार डॉक्टर बदलना या यूं ही मेडिकल से दवाई खरीदकर यूज करना कई बार पेशंट के लिए घातक बन जाता है। क्योंकि पेशंट अपने नए डॉक्टर को पहले यूज की गई दवाइयों की सही जानकारी नहीं दे पाते हैं। ऐसे में कई बार डॉक्टर और पेशंट दोनों के लिए दिक्कत भरी स्थिति हो जाती है।
आंखों की देखभाल के लिए पेशंट्स को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे, अगर आप कॉन्टेक्ट लैंस का यूज करते हैं तो कभी भी इन्हें लगाकर ना सोएं।
डॉक्टर बदलते रहने पर पुराने डॉक्टर की पूरी डीटेल दें। क्योंकि ऐंटिएलर्जिक दवाइयां डालने का एक नियमित समय होता है। डॉक्टर ने अगर कहा है कि इस दवाई को 15 दिन डालों तो केवल उतना ही इस्तेमाल करें। क्योंकि अधिक इस्तेमाल करने पर दवाइयों के अपने साइड इफेक्ट्स होते हैं।