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भैंगापन (SQUINT IN HINDI)- लक्षण, कारण एवं सर्जरी

Squint Treatment in Ambala | Manocha Eye Hospital

Squint Treatment in Ambala | Manocha Eye Hospital

आँखों का स्वस्थ रहना और स्पष्ट दिखाई देना जितना जरुरी है उतना ही जरुरी है उनका सही आकर और मस्तिष्क से तालमेल होना। हमारी दोनों आँखों के मध्य एक उचित तालमेल होता है जिस की वजह से दोनों आँखें एक ही टाइम में एक ही बिंदु पर फोकस करती है और साफ़ प्रत्तिबिम्ब बनाती है।

यदि किसी कारणवश जन्म से आँखों के आकर में कुछ विकृति या तिरछापन होता है तो मस्तिष्क दोनों आंखों से अलग-अलग दृश्य संकेत प्राप्त करता है और कमजोर आंखों से मिलने वाले संकेत को नज़रअंदाज़ कर देता है। इस वजह से डबल विज़न की समस्या हो जाती है जिसको भैंगापन कहते है।

खासकर ये समस्या बच्चो में होती है लेकिन बड़े लोगो में भी भैंगापन किसी दुर्घटनावश, आँखों में चोट लगने या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के कारण हो सकता है। समस्या गंभीर होने पर उपचार करवाना जरुरी है वरना देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

आँखों का भेंगापन क्या है? (What is Squint in Hindi)

जब दोनों आंखें ठीक तरह से अलाइन या एक सीध में नहीं होती हैं तो इसको भैंगापन या आँखों का तिरछापन कहा जाता है। साइंटिफिक लैंग्वेज में इसको स्क्विंट या स्ट्राबिस्मस या क्रॉस्ड आईस कहते हैं।

भैंगापन की समस्या तब आती है जब एक आंख ज्यादा ही अंदर की ओर या बाहर की ओर या नीचे की ओर या उपर की ओर हो जाती है। आँखों के एक सीध में न होने के कारण वो एक साथ एक बिंदु पर केंद्रित नहीं हो पाती हैं और दोनों आंखें अलग-अलग दिशाओं में देखती हैं। भैंगापन की समस्या से जूझ रहे लोगो को अन्य व्यक्तियों से भी बातचीत करने झिझक लगती है।

भैंगापन की समस्या को ठीक किया जा सकता है, अधिकतर मामलों में आंखों का भेंगापन पूरी तरह ठीक हो जाता है।

भैंगापन के प्रकार: (Types of Squint)

आंख की स्थिति और आकर के आधार पर भैंगेपन की समस्या निम्न प्रकार की होती है:

1- हाइपरट्रोपिया

हाइपरट्रोपिया जब आंख उपर की ओर मुड़ जाती है।

2- हाइपोट्रोपिया

हाइपोट्रोपिया जब आंख नीचे की ओर मुड़ जाती है।

3- एसोट्रोपिया

एसोट्रोपिया जब आंख अंदर की ओर चली जाती है।

4- एक्सोट्रोपिया

एक्सोट्रोपिया जब आंख बाहर की ओर चली जाती है।

भैंगापन के कारण?

सामान्यत: भैंगेपन की समस्या जन्मजात होती है, लेकिन आँखों की चोट, बीमारियां या दुर्घटनाएं भी इसका कारण बन सकती हैं:

  • जन्मजात विकृति: गर्भ में किसी तरह की शारीरिक विकास में समस्या आने पर आंख की मांसपेशियों, तंत्रिकाओं और मस्तिष्क में संप्रेषण/संचार असामान्य हो जाता है, इस वजह से दोनों आंखों के बीच समन्वय प्रभावित होता है।
  • अनुवांशिकी (जिनैटिक): भैंगेपन की समस्या अनुवांशिकी पर भी निर्भर करती है, अगर परिवार के किसी सदस्य में भैंगेपन की शिकायत है, तो नवजात शिशु में इसके होने की आशंका बढ़ जाती है। पांच साल की उम्र तक इसके विकसित होने की आशंका वनी रहती है।
  • दुर्घटनाएं: दुर्घटनावश मस्तिष्क में चोट लग जाने, आंखों की तंत्रिकाओं या आँख का पर्दे (रेटिना) का क्षतिग्रस्त हो जाने की वजह से भी भैंगापन विकसित हो सकता है।
  • आंखों से संबंधित समस्याएं: निकट दृष्टिदोष, दूर दृष्टिदोष या एस्टिग्मेटिज़्म के कारण भी भैंगेपन की समस्या हो सकती है।
  • वायरस का संक्रमण: वायरल फिवर, चेचक, खसरा, मेनेजाइटिस आदि भी भैंगेपन का कारण बन सकते हैं।
  • अन्य स्वास्थ्य समस्याए: मस्तिष्क विकार, मस्तिष्क का ट्यूमर, स्ट्रोक, मधुमेह(डायबिटीज़) या मस्तिष्क पक्षाघात (सेरिब्रल पाल्सी) जैसी समस्याएं भैंगेपन के लिए एक जोखिम कारक हैं।

भैंगापन के लक्षण:

भैंगेपन का सबसे सामान्य लक्षण है, आंखों का तिरछा होना या उनका एकसाथ एक बिंदु पर फोकस नहीं हो पाना। इसके अलावा निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

  • दृष्टि प्रभावित होना।
  • दोहरी दृष्टि (डबल विज़न)।
  • गहराई की अनुभूति प्रभावित होना।

भैंगेपन की जांच:

भैंगेपन का पता लगाने के लिए ये विधि उपयोग में लायी जाती है:

  • कार्नियल आई रिफ्लेक्स टेस्ट: इस टेस्ट का प्रयोग कर के यह पता लगाया जाता है कि आंख में भैंगापन कितना है और किस प्रकार का है।
  • विज़ुअल एक्युटी टेस्ट: विज़ुअल एक्युटी टेस्ट के द्वारा भैंगेपन के कारण दृष्टि पर पड़ने वाले प्रभाव की जांच की जाती है।

भैंगेपन का उपचार:

जन्म या बीमारी की शुरूआत में ही अगर डिटेक्ट हो जाए तो भैंगेपन का उपचार अधिक प्रभावी रहता है, समस्या बढ़ने पर इसका पूरी तरह उपचार संभव नहीं है। छोटे बच्चो में छह साल की उम्र तक उपचार कराना काफी प्रभावी रहता है अन्यथा इसका उपचार किसी कुशल नेत्र चिकित्स्क से कभी भी करवाया जा सकता है। जब किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या, चोट या बीमारी के कारण भैंगेपन की समस्या होती है तो उसका उपचार जरूरी हो जाता है और अगर समय रहते सर्जरी करा ली जाए तो परिणाम अच्छे प्राप्त होते हैं।

Dr. Deepti Manocha
Dr. Deepti Manocha
Dr. Deepti Manocha joined Manocha Eye Hospital after completing her Post Graduation in Ophthalmology from Sir Ganga Ram Hospital, New Delhi in 2006. Dr. Deepti Manocha took the legacy forward and added state of the art technology to the hospital. She bought many latest changes to the hospital. She added Modular Eye Operation Theater, Blade-Free Lasik Laser and many other technical & diagnostic assets to the hospital. Manocha Eye Hospital extended its services in the area of cashless empanelments and is currently on the panel of all major TPAs and government schemes like ECHS, CGHS, Ayushmann Bharat. The hospital is also providing the scope of its services to the employees of the Haryana government and Himachal government. Dr. Deepti Manocha bought advance and modern treatments for many eye diseases to Manocha Eye Hospital.

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