ऐसा कहा जाता है कि मनुष्य के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग उसकी आंखे होती हैं, क्योंकि वह उन्हीं के माध्यम से इस खुबसूरत दुनिया को देखता है। हालांकि, वह इनका पूरा ख्याल रखता है, लेकिन आज कल के तकनीकी युग में लोगों को सुबह से लेकर रात तक गैजेटों का सहारा लेना पड़ता है। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें आंखों की समस्याएं हो जाती हैं, जिनमें मायोपिया (पास की नज़र का कमज़ोर होना), हाइपरोपिया (दूर की नज़र का कमजोर होना), एस्टिगमैटिस्म (धुंधला दिखाई देना) इत्यादि शामिल हैं।
हालांकि, वह इसके लिए बहुत सारे तरीकों जैसे दवाई, आंखों का व्यायाम इत्यादि को अपनाते हैं। लेकिन जब उन्हें इन तरीकों के बावजूद इन समस्याओं से निजात नहीं मिल पाता है, तो ऐसी स्थिति में उनके लिए एकमात्र विकल्प आंखों का ऑपरेशन ही बचता है। लेसिक आई सर्जरी (Lasik Eye Surgery) भी ऐसी ही सर्जरी है, जिसे आंखों का चश्मा हटाने या फिर आंख की समस्याएं ठीक करने के लिए किया जाता है।
ऐसे में इस सर्जरी के बारे में जानना काफी जरूरी है। इसके लिए आप इस लेख को पढ़ना चाहिए क्योंकि हमने इस लेख में लेसिक आई सर्जरी के बारे में आवश्यक जानकारी दी है।
लेसिक आई सर्जरी से तात्पर्य ऐसी उस सर्जरी से है, जिसे आंखोें के चश्मे को हटाने या फिर अन्य आंख की समस्याएं जैसे मायोपिया, हाइपरोपिया इत्यादि की समस्या को ठीक करने के लिए किया जाता है।
लेसिक आई सर्जरी को अंग्रेजी में लेजर- इन-सिटू-किरेटोमिल्यूसिस (laser-assisted in situ keratomileusis)(LASIK) कहा जाता है।
लेसिक आई सर्जरी कराने की सलाह सर्जन उस स्थिति में देते हैं, जब किसी व्यक्ति पर आंखों की समस्याओं को ठीक करने के अन्य उपाय जैसे आई ड्रॉप, आंखों के व्यायाम इत्यादि कारगर साबित नहीं होते हैं।
लेसिक आई सर्जरी चश्मा हटाने की सर्जरी है, जिसमें लेज़र की सहायता से कॉर्निया को सही आकार दिया जाता है, ताकि रेटिना पर प्रकाश पड़ने पर वह सही तरीके से काम करे। कॉर्निया में पतली फ्लैप बनाने के लिए सर्जन लेज़र या ब्लेड का उपयोग करते हैं।
चूंकि, लेसिक आई सर्जरी का संबंध शरीर के सबसे संवेदनशील अंग अर्थात् आंखों से होता है। इसलिए इस आंखों की सर्जरी को काफी सावधानी से किया जाता है, क्योंकि इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बरतना किसी भी व्यक्ति की ज़िदगी को अंधकार में डाल सकता है।
लेसिक आई सर्जरी को शुरू करने से पहले सर्जन व्यक्ति के स्वास्थ की अच्छी तरह से जांच करते हैं, जिसके लिए वे कुछ कार्यों को करते हैं, जो इस प्रकार हैं-
लेसिक आई सर्जरी की संपूर्ण प्रक्रिया में कुल मिलाकर 15-30 मिनट का समय लगता है। इसके अलावा इस पूरी प्रक्रिया को लेजर के माध्यम से किया जाता है इसलिए इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का चीर-फाड़ नहीं किया जाता।
लेसिक आई सर्जरी में कुछ बिंदू शामिल होते हैं, जो इस प्रक्रार हैं-
स्टेप 1; आंखों को आई ड्रॉप से सुन्न करना- लेसिक आई सर्जरी को शुरू करते हुए व्यक्ति की आंखों को आई ड्रॉप से सुन्न किया जाता है ताकि उसे इस संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार की असुविधा न हो।
स्टेप 2; कुछ दवाईयां देना- आंखों को आई ड्रॉप से सुन्न करने के बाद व्यक्ति को कुछ दवाईयां दी जाती हैं ताकि उसे सर्जिकल कुर्सी तक आसानी ले जाया जा सके।
स्टेप 3: पलकों को झपकने से रोकना- इसके बाद सर्जन व्यक्ति की आंखों की पलकों (eyelids) पर लिड स्पेकुलम( lid speculum) नामक उपकरण का उपयोग करते हैं, जो पलको को झपकने से रोकते हैं।
स्टेप 4: कॉर्निया तक पहुंचना- सर्जन आंखों के कॉर्निया में एक पतला फ्लैप बनाते हैं, जिसे अस्थायी रूप से मोड़ा जा सके।
स्टेप 5; कॉर्निया को नया आकार देना- कॉर्निया के बीच में मौजूद लेयर को निकालने के बाद कॉर्निया को नया आकार दिया जाता है, जिसके लिए एक्सीमर लेज़र (excimer laser) नामक उपकरण का प्रयोग किया जाता है।
जैसा कि पहले स्पष्ट किया गया है कि लेसिक आई सर्जरी को काफी सावधानी से किया जाता है। लेसिक आई सर्जरी के बाद भी कुछ कार्यों को किया जाता है, जो काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
ये कार्य कुछ इस प्रकार हैं-
आज कल बहुत सारे लोग लेसिक आई सर्जरी को अपना रहे हैं और अपनी ज़िदगी को खुशियों से भर रहे हैं। लेसिक आई सर्जरी के फायदा बहुत सारे हैं, जिसके कारण लोग इसे अपना रहे हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
ऐसी आम धारणा होती है, कि यदि ज़िदगी में एक बार आंखोें पर चश्मा चढ़ जाए तो वह फिर नहीं उतरता है। लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि मेडिकल साइंस की सहायता से इस समस्या का समाधान संभव है। लेसिक आई सर्जरी आंखों के लिए लेज़र उपचार है, जिसमें आंखों का उपचार किया जाता है। चूंकि, बहुत सारे लोगों को लेसिक आई सर्जरी की पूर्ण जानकारी नहीं होती है, इसलिए वह इसे समय रहते अपना नहीं पाते हैं।